भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उपहार / मनप्रसाद सुब्बा

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:44, 22 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनप्रसाद सुब्बा |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यौटा चोखो
अत्यन्तै अकृत्रिम
काँचो
कन्चन
यौटा धागोसम्म नबाँधेको
असुरक्षित
तर निडर
नि:सङ्कोच
अनि निर्दोष
यो मेरो नग्नता
तिमीलाई उपहार !

योभन्दा सुन्दर उपहार अर्को भेट्टाइनँ, रागिनी !