भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे लोग / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:45, 30 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=बालकृ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रात सुन्दर है,
मेरे लोगों के चेहरे भी।
सितारे सुन्दर हैं,
मेरे लोगों की आँखें भी।
सुन्दर है सूर्य भी
सुन्दर हैं मेरे लोगों की आत्माएँ भी।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’