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आपनोॅ बोली / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
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बोलबै आपनोॅ बोली!
जों कोय मारतै गोली,
बोलबै आपने बोली!
जे बोली में मायँ सुतैलकै, गाबी-गाबी लोरी,
भरी जुआनी जे बोली में, मचलै जोरा-जोरी,
जे बोलीं लौलीन बुढ़ारो, बाँचै में उपदेश,
जे बोलीं जँतसार, रोपनी लोरिक बिहू’ सलेश,
जे बोली ने भाव-भाव के बान्हन देलकै खोली!
बौलबै आपनोॅ बोली!
जे बोली में शृंगी ने शान्ता केॅ देलकै प्यार,
कर्णोॅ के छाती पर झुललै जे बोली के हार,
जेकरोॅ लिपि चौंसठ में चौठोॅ भारत भरी बखान,
पाणिणि-वामन ने जेकरा देलकै ‘प्राच्या’ में मान,
जिनगी-जिनगी देॅ केॅ भैया,
भरबै ओकरोॅ झोली!
बौलबै आपनोॅ बोली!