मजूरी / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
चलेॅ मजूरी देॅ!
चुल्होॅ नै जरलोॅ छेॅ काल्हूसें घरोॅ में
जरलोॅ कपार छेॅ
यै दीशों भूखोॅ सें धिधियाबै पेट छेॅ,
वै दोशों रिखिया बीमार छेॅ,
पटपरी सोनमा के कुम्हलैलोॅ ठोरोॅ में
लाचारी गोदनी के आँखी के कोरोॅ में
शूलै छेॅ छाती में दुक्खोॅ-कभाती में
कुच्छु अगोड़ी दे! चलोॅ मजूरी देॅ!
आबें लेॅ घूरी केॅ!
एखनी तेॅ ऐलै छीं ऐङना सें, जाबै में
दू घंटा देर छौ;
एक सेठ करूवा के बाँकी छौ झाँपैलेॅ,
तासोॅ के फेर छौ;
आबै के आबें लेॅ दू घड़ी दीन में,
बादारी खुगतो नै आयच्कै कुदीन में,
देखें चङेरा में, धानो छै बोरा में,
पूछी ले टूरी केॅ। आबें लेॅ घूरी केॅ!
नै मालिक दैये लेॅ!
भूखोॅ सें भाँसै छेॅ नारी सब प्रानी के,
टुटलोॅ पहाड़ छेॅ;
खींचै छेॅ आँखी के सौवोॅ कोय भितरोॅ सें
छिलकै अन्हार छेॅ
ओकरा पर जाना छेॅ बैदोॅ के फेरोॅ में,
हमरोॅ ई मोॅन छेॅ की अपना टेरोॅ में?
रहील्देॅ तासोॅ केॅ हमरोॅ उपासोॅ केॅ
पैहने भगैयेलेॅ। नै मालिक दैयेलोॅ।
करें बहाना नै।
फैदा नै होतौ नेपसोॅ पसारला सें
कहलियो एक बेर;
कामोॅ के बेरा में घरे बीमार छेॅ
मजूरी बेरा में ढेर-ढेर?
हमरा सब बुझलोॅ छेॅ राड़ोॅ के रड़भक्खा,
दोसरा सें फुकबैहें ई सब नकली फोंका,
हमरा सब तितलोॅ छेॅ, यही में बितलोॅ छेॅ,
जिनगी जबाना सें।
आरो कोय पिघलतो तोरोॅ बहाना सें।