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उखैल भेलै / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
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उखेल भेलै!
ऐङना-दुआरीं चनन पिछुआरौ में
बच्चा-बुतरुआ-जुआन खेलै!
उखेल भेलै!
ठारीं नुकैलोॅ चिरैया उड़ै छै
छपरीं कबूतरी-कबूतर जुड़ै छै
लेरुआ केॅ लागलै जे बाव,
गुहाली सें एक्खै उड़ानी बथान गेलै!
मुस्कै छै नाही केॅ कोंढ़ी बनबेला
चमकै छै गाछ-पात किरणोॅ के मेला
‘गैरुआ’ में गिरलै जे लार बिहानी सें
बुन्नी के पानी पहाड़ ठेलै!
जनरा के बारौ में सुगना हरसैलोॅ
लहरै छै गीत खेत कत्तेॅ बेर गैलोॅ
पोखरी पर गदरैलै तार
गुजरिया के पिछला पिरितिया
बयार हेलै!
उखेल भेलै!