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आदमी / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
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मन मतंग चानोॅ पर जाय छै आदमी,
हवा सें उपरें महलो बनाय छै आदमीं
हे भाय हे!
जखनी खखुआय छै, आकी भुखाय छै
सुरझौ केॅ अलगट चिबाय छै आदमी।