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पके प्रचुर सुधान्य से... / कालिदास
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- लो प्रिये हेमन्त आया!
पके प्रचुर सुधान्य से
- सीमान्त ग्रामों के गिरे हैं
सतत सुन्दर, क्रौञ्च
- माला से गले जिसके पड़े हैं
अगनगुण रमणीय, प्रमदा
- चित्रहारी, शीतकाया,
तुहिनमय, हेमन्त सुख
- देता सभी को,स्नेह छाया,
- लो प्रिये हेमन्त आया!