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मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था / कुमार मुकुल
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यह लिखते
कितनी शर्म आएगी
कि मैंने
कष्ट सहे हैं
मुझे जीवन ऐसा ही चाहिए था
अपने मुताबिक़
अपनी गलतियों से सज़ा-धजा!