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शहर में साँप / 27 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप आरोॅ आदमी में
आँख मिचौनी होतै रहै छै
आदमी कहियो-कहियो
साँप/हरेक बार हाइर जाय छै।
अनुवाद:
साँप और आदमी में
आँखमिचौनी होते रहती है
आदमी कभी-कभी
पर साँप/हर बार हार जाता है।