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शहर में साँप / 39 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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आदमी ने साँप से पुछलकै
ओकरो आरो तोरा में कि छै अन्तर
साँप कहलकै
ओकरा दू हाथ नै/एै खातिर
केकरो से कोय मांग नै
अपन पेट केॅ परवाह
केकरो से मारामार नै
टैप जैइयै भले केकरो चौखट
पर कभी केकरो लूट खसोट नै

अनुवाद:

आदमी ने साँप से पूछा
मुझमें और तुममें क्या अंतर
साँप ने कहा
मुझे दो हाथ नहीं/इसलिए
किसी से कोई माँग नहीं
अपनी पेट की परवाह
पर किसी से मारामार नहीं
टप जाऊँ भले किसी का चौखट
पर कभी किसी का लूट खसोट नहीं।