भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहर में साँप / 41 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:12, 1 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँप आरो आदमी केॅ
एक साथ आवैत देखकेॅ
वैं कहलकेॅ
आदमी के पैहलें मारें
साँप के बाद में।

अनुवाद:

साँप और आदमी को
एक साथ आते देख कर
उसने कहा
आदमी को पहले मारो
साँप को बाद में।