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शहर में साँप / 48 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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साँप नेॅ आदमी सें कहलकै
जब ऊ रेंगें छै तेॅ
जमीन पर निशान उगतै जाय छै
मुदा तोंय तेॅ
अपनोॅ पदचिन्ह केॅ भी
मिटैतें चलै छौ।

अनुवाद:

साँप ने आदमी से कहा
जब वह रेंगता है तो
जमीन पर निशान उगते जाता है
किन्तु तुम तो
अपने पदचिन्हों को भी
मिटाते चलते हो।