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शहर में साँप / 51 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप
आदमी केॅ देख केॅ
अचंभित होय केॅ बोललै
ई तेॅ
पापहरिणी केॅ भी नै बख्शलकै
ऐका पर जे विश्वास करलकै
ई ओकर जीवन बर्बाद करलकै।
अनुवाद:
साँप
आदमी कोदेख कर
अचंभित हो कर बोला
इसने तो
पापहरिणी को भी नहीं बख्शा
इस पर जिसने विश्वास किया
इसने उसी का जीवन बर्बाद किया।