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मिट्ठड़ी अम्मां / मीरा हिंगोराणी

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मूंते प्यारु, लुटाए अम्मां,
खणी हंज विहारे अम्मां,
चोॼ मंझा थी चुमे अम्मां।
मूंते प्यारु, लुटाए अम्मां,

ॾीहं जो लोॾे हिंदोरे में,
लोलियूं खूबु ॿुघाए अम्मां।

छॾि तूं रुसण जी आदत पुटड़ा,
प्यार मां इएं समझाए अम्मां
मूंते प्यारु, लुटाए अम्मां,

बुधाए कथाऊं नील-परियुनि जूं,
उभ जी सैरु कराए अम्मां।

कॾहिं न करे कम में सुस्ती,
चुस्तु-फुर्तु रहे अम्मां।

सॼे जॻ खां आहे न्यरी,
मुहिंजी मिट्ठड़ी प्यारी अम्मां।
मूंते प्यारु, लुटाए अम्मां!