भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुलाबु / मीरा हिंगोराणी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:28, 1 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुलनि जो राजा आहि गुलाबु,
कंडनि में खुश रहे गुलाबु।

ॻाड़हा पीला ऐं अछा नीला,
हर किस्म जा थियनि गुलाब।

ॾे थो नियापो प्रेम जो,
ख़ज़ानो खुशबू जो गुलाबु।

पखेड़े मधुर-मधुर सुरहाण,
बहार बाग़नि जी गुलाबु।

मुखड़ा ॿारनि जा हरदमु,
रहनि टिड़ियल, जींअ टिड़े गुलाबु।