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अखियूं / मीरा हिंगोराणी

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वघाईनि थियूं मुखड़े जी रौनक,
ही कारियूं मतवारियूं अखियूं।

जॾहिं बि रहे मनु उदासु,
झट-पट नीरु वहाईनि अखियूं।

आहिन लठि अंधनि लाई,
खुलनि जॾहिं अंदर जूं अखियूं।

दुख पराओ समझनि पंहिंजो,
छलकी पवनि छल-छल अखियूं।

आहिन चेहरे जी रौनक,
कुदरत जी नेम/त अखियूं।
(ॾाति)