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साथी! अपना प्यार / श्वेता राय
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साथी! अपना प्यार, लगे है नभ का तारा।
प्रेम लिये संसार, जियेंगें जीवन सारा॥
सर्दी की तू धूप, लगे फागुन सी प्यारी।
धर के रूप अनूप, खिले तू हिय की क्यारी॥
मैं मरुथल हूँ थार, नदी की तू है धारा।
प्रेम लिए संसार, जियेंगें जीवन सारा॥
मेरे मन की चाह, घटा बन तुम ही छाओ।
जीवन की हर राह, प्रेम सागर छलकाओ॥
मन से मन को हार, बसे हम दृग के कारा।
प्रेम लिये संसार, जियेंगें जीवन सारा॥
जीवन की हर श्वास, कहे है एक कहानी।
पूरी कर दो आस, बनो तुम मेरी रानी॥
जीवन मधुपल चार, प्यार का मैं हूँ मारा।
प्रेम लिये संसार, जियेंगे जीवन सारा॥