भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
व्याकुल मेरे प्राण / श्वेता राय
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:19, 2 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्वेता राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कोकिल के कंठो में बसती, मधुर प्रीत की तान
प्रिय! व्याकुल मेरे प्राण
रात है पत्थर सपने चंदन
श्वासों का जो करते अर्चन
सुधियाँ प्रिय की रख जाती हैं सिरहाने मुस्कान
प्रिय! व्याकुल मेरे प्राण
प्रीत है पिंजर तन मन बन्दी
हरपल महके बन मकरंदी
अंधियारे पथ पर लाती ये किरणों का विहान
प्रिय! व्याकुल मेरे प्राण
प्रिये देव औ अर्घ्य है जीवन
भावों को करते हैं अर्पण
पंख बिना मन पा जाता है अंबर की उड़ान
प्रिय! व्याकुल मेरे प्राण