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नालो निशान / अमुल चैनलाल आहूजा 'रहिमी'

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रोज़ खू़न थियन था
खाट लॻनि था
ज़ोरीअ ज़नाउ पिणु थियन था
नेता खु़ली खिलन था
ग़रीबन जी दिल जी चुल्हीयुनि ते
खू़ब रोटियूं पचाईनि था
ईअं तवारीख़ लिखजे पेई
हू
चरियो
अधु चरियो
मुनो चरियो
ऐं सॼो चरियो अवाम खे समझनि था
जो खेन कल न आहे
खु़द ई महा चरिया आहिन
माण्हु थींदा जॾहिं ख़फे
डाहे पट कंदा हिक ई दफे़
समूरी जाग्राफी
उहा ई न रहंदी त
रचियल संदनि सॼे जी सॼी तवारीख़ जो वरी
किथां नालो निशान रहंदो (आङुठो रहंदो)!