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सिंधी सुधिरिणा आहियूं!? / अमुल चैनलाल आहूजा 'रहिमी'

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वॾो धकु
खाइण सां
नंढिड़ो जख़मु विसरी वेंदो आहे
किथ
असां खे
इन जी ज़रूरत त नाहे!?
विरहाङो शायद
नंढिड़ो ज़ख़म हो (आहे)
इन खां वॾे धक जी गुंजाइशि आहे
बजाइ इन जे
असीं सिंधी शायद ई सुधिरूँ
भल केॾी बि तरक़ी छोन करियूं
पर यकमुश्ती असुल कोन ईंदी
जेसीं वॾो धकु न खाधो अथऊँ!