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हीउ माण्हु / अमुल चैनलाल आहूजा 'रहिमी'

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मां जिन खे थो सिधो भांयां
से त सचु पचु डिं/गा आहिन
मुंहिंजो खाई हुन जो ॻाईन
हीउ माण्हु भी कहिड़ा आहिन!

मिठड़ी मुहुं ते मुर्क सो आणे
रोज़ था मुंखे साराहीन
कमु निकते ईअं भुलाईनि
ॼणु वारीअ जो ढ़ॻु था डाहीन
मुंहिंजो खाई...
सचु त मुंहं ते चवन कीन था
लिकी छिपी परपुठ ॻाल्हाईनि
पाण खे हर हर ईअं खड़काईनि
ॼणु दॿले में पत्थर आहिन
मुंहिंजो खाई...