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पहिरीं वेनती / लीला मामताणी

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अवल अलख अॻिां हथ जोड़े करियो अरदास
जेॾो तुंहिंजो नांउ आ, एॾो ॾे विश्वासु॥

1.
अल्लाह राम रहीम या शाम अमर या लाल।
साईं जिं़दह पीर या कोठियां दूलह लाल॥

2.
नाला सभेई तो संदा, तूं शाहनि जो शाहु।
क़ुद़रत जे कण कण अंदर, तुंहिंजो ई आ गाहु॥

3.
कर्ता पुरुख महान तूं, निर्भय ऐं निरवेर।
जनम-मरण जे फेर खां, आजो आ तुंहिंजो पुरु॥

4.
आदि सचो, जॻ-जॻ सचो, रहंदें सचु आं भी सचु।
मुंहिंजे मन में ॿारि को, सिक मुहबत जो मचु॥

5.
हॾु हीणो, हथिड़ा निॿल, मग़जु़ मुंधलु, ॿुद्धी खीण।
कन ॿोड़ा, अखियूं झकियूं, मनु मेरो गुण-हीण॥

6.
इन ऊंदहि में रोशनी, भरि पंहिंजी सतनाम।
ॼाण न भुलिजां तो संदी, अमृत जा ॾे जाम॥

7.
ताक़त ॾे तन-मन में, करि पूरी हीअ आस।
हथ खां पकिड़े पाण करि, पंहिंजो हीउ कमु रास॥