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मंज़िल पंहिंजी वेह न विसारे / लीला मामताणी

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मंज़िल पंहिंजी वेह न विसारे
क़दम क़दम ते हलु वीचारे

इहो को कर्म कर जीवन सफल थिए
रहे यादि तुंहिंजी नाम ओजल थिए
वञु के दुखियुनि जू दिलड़ियूं ठारे
क़दम क़दम ते हलु वीचारे

छॾु हिरसनि खे हाण सियाणा
अञा अॾींदें केसीं आॾाणा
कालु मथां बीठो तोखे पुकारे
क़दम क़दम ते हलु वीचारे

वेई सा वेई हलु बाक़ी बचाए
मूड़ी पंहिंजी वञु न लुटाए
साईं वठंदुइ लेखो संवारे
क़दम क़दम ते हलु वीचारे