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मालिक जी माया / लीला मामताणी

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घड़ीअ में ठहे थो घड़ीअ मे डहे थो
मालिक जी मर्ज़ीअ सां सभु कुझु थिए थो

हित केर कंहिंजो न आहे पखीअड़ा
करीं छो थो बांवरु-मूर्ख पखीअड़ा
ठाहे वठि को तोशो-न हित को रहे थो
घड़ीअ में ठहे थो...

केई आया केई विया वारो वॼाए
रहंदें न हित तूं देरो दमाए
बदीअ खां परे थी नाउं नेकीअ हले थो
घड़ीअ में ठहे थो...

ख़ाली हाथु आयो आहीं-ख़ाली हाथु वेदें
समरु साण दनिवी-कुझु भी न नींदे
दुखियुनि जी ई शेवा सां परलोक ठहे थो
घड़ीअ में ठहे थो...