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परदेसी / लीला मामताणी

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आऊ मुंहिंजा परदेसी प्यारा
दिलि मुंहिंजी त पुकारे थी
नेण थका तुंहिंजी राह निहारे
दिलड़ी मुंहिंजी घॿिराए थी।
आस जा ॾीअड़ा ॿारे वेठसि,
दिलि सां मिलण मां चाहियां थी
दिलि दीवानी तो लाइ आहे
अखड़ी हंजूं हारे थी।

होति मुंहिंजा तूं अचु हिकवारी
यादि तुहिंजी ॾाढी मारे थी
दर्द जे मारी दिलड़ी आहे
मईअ खे कीन विसारे थी
मोथ मिठा आहियां तो लाइ मांदी
छो तो देर कई हेकांदी
दम दम तोखे ‘निमाणी’ सारे
तुंहिंजो विछोड़ो मुहब थो मारे