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धमु चकरु / मुकेश तिलोकाणी
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हीअ
हवा न
झक न
लुक न
वाचूड़ो आहे वाचूड़ो।
ॾिसु वण कंबनि पिया
सुकल पन
छणनु पिया।
ताज़ा तियारीअ में!
ॾिसु कांव जी अखि
फड़िके पई
ढॻो वथाण में सोघो
सिजु साड़ींदो
मींहुं ठारींदो
सियारो सुसाईंदो
हा...बहार ईंदी!
हिन, शुरु थियल
धमु चकर में
सुकल थुड़
दाइमु हूंदा।