भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हे झूले झूले झूलेलाल / लीला मामताणी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:37, 6 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीला मामताणी |अनुवादक= |संग्रह=मह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तर्ज़: नीले गगन के तले
हे झूले झूले झूलेलाल
जेको आहे नंगपाल
कन्दो भलायूं मेटे मदायूं
सभ जो आहे रखपालु॥
1.
जंहिं जे मिलण लाइ वाटूं निहारियमि
सॾड़ा करे थे रोज़ संभारियमि
करे ॾेखारियो आ कमालु।
हे झूले झूले झूलेलाल॥
2.
अङण मुंहिंजे खे आबाद कयाईं
सभेई कारिज रास कयाईं
दिल जो आहे दिलदारु।
हे झूले झूले झूलेलाल॥
3.
हीअ ‘निमाणी’ करे नीज़ारी
दर तुंहिंजे जी बणियसि नमाज़ी
दीननि जो आ दयालु।
हे झूले झूले झूलेलाल॥