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जोति से जोति जलाके चलो / लीला मामताणी

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जोति से जोति जलाके चलो।
लाल सां नींहड़ो लॻाए वञो,
प्रेम सां सिरड़ो झुकाए वञो॥

1.
विष्णूअ जो अवतारु वठी साईं,
सिंधु भूमीअ ते आयो।
हींणनि जो हमराहु थियो, गीता जो वचनु निभायो
पंहिंजो वचन निभाए वञो,
प्रेम सां सिरड़ो झुकाए वञो॥

2.
लाल जो स्वागत ब्रह्मा कयो हो।
शंकर हारु हो पातो।
गुलनि जी वर्खा देव-देवियुनि कई
मनुषनि सॼणु सुञातो।

अमर जो दर्शन पाए वञो।
प्रेम सां सिरडो झुकाए वञो॥

3.
हिंदोरे में लालण पंहिंजी, लीला आहि ॾेखारी
रतन जे घर में आयो, ठाकुर जोति अमर हुई ॿारी
तंहिं जोति तां हथड़ो घुमाए वञो।
प्रेम सां सिरडो झुकाए वञो॥