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हथ फेरो / मुकेश तिलोकाणी
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तेज़ वाचूड़े
सुकल ताज़ा
पन छणिया।
जिसमु ढके छॾियो
आह कंदे
चेल्हि वराई
ॻिढिड़ी पवण ते
अला, जो
अवाजु़ क्यो।
आहिस्ते सां
उन नब्ज़ ते
हथु फेरायो
अखियूं, चंड सां मिलायूं
हिक शैतानी मुश्क
चपनि ते
डोड़ी अची
बीही रही।