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बाक़ी ॾींहं / मुकेश तिलोकाणी

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हिक हथ में कलमु
ॿिए हथ में तलवार
सीनों फूंड में फूकीदे
ॿुधी कुल्हे ते
खणी घुमदंड़
सहिकणु बंदि करि
ज़रा आहिस्ते आहिस्ते हलु।
साहु खणु ऐं छॾि
थोरो सोचि
हेॾांहुं-हेॾाहुं निहार
रांवण
कंस
हरणाकश्यप
दुर्योधन जहिड़ा
मरी विया
ज़रा आईने ते
नज़र घुमाइ
बाक़ी ॾींह केतिरा!