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जोति में झूलण / लक्ष्मण पुरूस्वानी
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ज्योति में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे
नाज आहे मूखे पहिंजींअ तकदीर ते
ज्योती में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे
जोतिन वारे लाल खे थी सदु करियां
सदु ॿुधी आयो सॼणु विच सीर ते
ज्योति में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे
दिल घुरियो दर्शन मिले थो भाॻ सां
गुल चाढ़िया थो मां तुहिजी तस्वीर ते
जोति में झूलण दिठम जिन्दह पीर खे
लेखा ”लक्षमण“ जा लटे छद लाल तूं
अखो पाया थो मां अची जिन्दहपीर ते
जोति में झूलण दिठम जिन्दहपीर खे
नाज आहे मूखे पहिंजींअ तकदीर ते