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चमचो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
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हवाउनि में उदामे सदाईं,
हीअु लांदिलो चिमचो अफसर जो
हिते-हुते फेरियूं पाए।
हीअ लादिलो चिमचो...
चङा-भला मिन्थूं कनि, पर कदंहि न मुंह खे खोले
कढी नोट जो खीसे मां देसि, उनजी फाइल खोले
सभि बिगिड़ियल कम बणाऐ, हीउ लादिलो चिमचो...
मैडम लाइ भाॼियूं आणे, रोजु भरे घर जो पाणी
कंहि न अचे दफतर में, वेठो खूब सुञाणीं
पघार बि ॿीणी घर आणे हीउ लादिलो चिमचो...
ठही न सघन्दो कमु कदहिं चिमचो जे नाकार करे
टारे न सघन्दो अफसर बि चिमचो जे इकरार करे
हू सभ ते रोब हलाए हीउ लादिलो चिमचो अफसर
जो
सदाई मुफत जा माल बि खाए हीउ लादिलो
चिमचो...
”हीउ लािलो चिमचो अफसर जो“