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अकेलो / लक्ष्मण पुरूस्वानी

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मां अकेलो जन्म-जन्म खां
प्रीत न कंहि मूं साण कई आ

पाछुलनि जे आहियां विच में
मगर न का तस्वीर ठही आ

जिन सूरन खां परे परे सभि
नातो उन्हनि सां जोड़े छदियो आ

मन मतवालो नाजुक शीशो
जंहिं चाहियो तंहि टोड़ियो आ

पंहिजनि ई त फरेब दिना
करे छदियो गुमराह खणी
बादल बणिजी छांव दिनी मूं
मिली तपत मां पियुसु छणी

दिल कंहिजी थी मूंते फ़िदा
छदी ज़माने नजर हणी

गुजिरी वेई, कुझु वेंदी गुजिरी
थींदो ”लक्षमण“ केर धणीं!!