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पहिंजो घर / लक्ष्मण पुरूस्वानी
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कुटिया हुजे या राजमहल
पहिंजो घर आ पहिंजो घ्ज्ञर
सुबहू शाम जी डोड़ ऐं डुक में
सुख सुपनो आ लॻन्दो घर
पहिंजाईअ जी जमना वहे थी
पहिंजे घर जे बिन्दराबन में
रहन्दो आ परिवार ॿधल सो
हिक धाॻे जे बन्धन में
जोत संझा जी झिरिमिरि झिरिमिरि
सुबुहू थिए ॼगु रोशन सारो
गुलनि जियां हिति ॿार टिड़नि था
कोयल जियां आवाज करे
किका-किकियूं कीअं था गदिजी
रान्द-रुन्द कनि नांज करे
कुल्हो-कुल्हे सां लाए कनि था
कुटुम्बी, कम आग़ाज करे
पहिंजो घर आ सुरिॻ समान
मायूसीअ में राहत जान
पहिंजो घर आहे हिकु मन्दर
पहिंजो घर आ पहिंजो घर!!