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बेहिसाब / लक्ष्मण पुरूस्वानी

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खबर आहे मूंखे, तोखे याद आहियां
ही हिदिकियूं मुहिजूं, न हूदिंयू बेसबब

तू रहीं खुश सदाईं, रुनो मूं त छा थियो
पीता आहिन मूं गम़ जा, पैमाना बेहिसाब

उन राति याद करे, रुनी हूंदीअ तूं दाढो
नम हुअई अखियूं, ऐं निशान ॻिलन ते बेहिसाब

मिलण लाइ त मिली वञूं, थीदियूं ॻाल्हियूं दिल जूं
पर थी वियांसी जुदा त दिल तड़फन्दी बेहिसाब

जिक्र छेडत्रे प्यार जो, खामोश आहे ‘लक्षमण’
चुप रही करे बि तो, चई छदियो बेहिसाब