Last modified on 15 फ़रवरी 2017, at 17:24

पानी पीने आई चूँ...चूँ / रमेश तैलंग

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:24, 15 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पानी पीने आई चूँ...चूँ
पानी पीने आ...ई।

जल्दी जाओ, बर्तन लाओ
भरकर उसमें पानी,
झटपट जिसमें चोंच डालकर
पी ले चूँ...चूँ रानी,
गर्मी से घबराई चूँ...चूँ
गर्मी से घबरा...ई।

डरते-डरते देख रही है
आगे-पीछे ऐसे,
अभी पकड़कर ही रख लेगा
कोई उसको जैसे,
लगती धोखा खाई चूँ...चूँ
लगती धोखा खा...ई।

दूर-दूर ही रहना, उसके
पास न कोई जाना,
पानी पीकर उसको तो है
फिर से फुर उड़ जाना,
लो, हमसे शरमाई चूँ...चूँ,
लो, हमसे शरमा...ई।
पानी पीने आई चूँ...चूँ
पानी पीने आ...ई।