Last modified on 15 फ़रवरी 2017, at 17:39

पापा की तनख्वाह में / रमेश तैलंग

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:39, 15 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पापा की तनख्वाह में
घर भर के सपने।

चिंटू का बस्ता,
मिंटी की गुड़िया।
अम्माँ की साड़ी,
दादी की पुड़िया।
लाएँगे, लाएँगे
पापाजी अपने।

पिछला महीना तो
मुश्किल से काटा।
आधी कमाइ्र में
सब्जी और आटा।
अगले में घाटे
पड़ेंगे ये भरने।