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पापा का मोबाइल फोन / रमेश तैलंग
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छूना मत, छूना मत!
ये मेरे पापा का-
मोबाइल फोन है।
मम्मी कहती है-
ये बच्चों की चीज नहीं,
महँगी है बहुत,
छेड़ना इसको ठीक नहीं,
पर मम्मी की बातों
को सुनता कौन है?
बिगड़ गया तो बोलो,
कौन भरेगा पैसे?
मुझको भी नहीं पता
चलता है ये कैसे,
पर इसकी
‘लवली-लवली’
रिंग-टोन है।
ये मेरे पापा का-
मोबाइल फोन है।