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नन्हे तारों का संसार / प्रकाश मनु

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झिलमिल-झिलमिल हँसता रहता
नन्हे तारों का संसार!

चुपके-चुपके हमें बुलाते
कभी बादलों में छिप जाते,
कैसे हैं ये नन्हे मोती
कैसे ये हरदम मुसकाते?
रोज दिवाली आसमान में
तारों का है बंदनवार!

अंधकार हो चाहे जितना
नहीं कभी घबराते हैं ये,
रात-रात भर जाग-जागकर
सबको राह दिखाते हैं ये।
हँस-हँस सबको बाँ रहे हैं-
उजली किरणों का उपहार!

टिम-टिम कर ये क्या कहते हैं
मम्मी, मैं तो समझ न पाता,
आसमान की कक्षा में क्या
चंदा मामा इन्हें पढ़ाता?
नहीं कभी छुट्टी मिलती क्या-
कभी नहीं प्यारा इतवार?