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इतिहास प्रतीकों की मुक्ति / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

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इतिहास-प्रतीक
मुक्त हुए
अब
न देव हैं न दानव
न कौरव न पाण्डव
दोनों सुविधा भोगी
उभयपक्षों में रहते हैं;
युद्ध के नाम पर
चुनाव लड़ते हैं,
हर समस्या का हल: रटा हुआ भाषण
फील्ड वर्क: दस कप चाय दो दर्जन
पनामा,
स्ट्रेटजी: बहुकोणीय संघर्ष
और
संवेदनशील उम्मीदवारों के लिए-
स्ट्रेप्टीमाइसीन की
वाण-सइया;
हमें खुश होना चाहिए
ये युग-निर्माता
कितनों को बना देते हैं-
भीष्मपितामा।