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रोटी / श्रीप्रसाद

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हमको भाती, तुमको भाती
सबको भाती रोटी
शाम-सबेरे बड़े प्रेम से
दुनिया खाती रोटी

रोटी पर सब काम टिके हैं
मेहनत करवाती है
दूर-दूर तक लोगों को
रोटी ही ले जाती है

दिनभर काम करो तब जाकर
घर में आती रोटी

बच्चे खाते, बूढ़े खाते
सबको भूख सताती
रोटी मिले नहीं, आँखों के
आगे झाईं आती

जंगल में, पर्वत के ऊपर
भी ले जाती रोटी

जीवन चलता है रोटी से
मन को खुश करती है
कम या ज्यादा, तन में रोटी
ही ताकत भरती है

पेट भरे जब तो चेहरे पर
है मुसकाती रोटी
हमको भाती, तुमको भाती
सबको भाती रोटी।