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दो बेटे / श्रीप्रसाद

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धरती ने दो बेटे पाए
इनमें एक बड़ा है
छोटा है जो एक गगन में
सीना तान खड़ा है

सूरज सुबह सजा किरणों की
थाली लेकर आता
वही बड़ा बेटा धरती का
दुनिया में कहलाता

छोटा बेटा छुनमुन चंदा
ठंडा प्यारा-प्यारा
दिन के ढलते ही आ जाता
चमकाता जग सारा

पीले लाल गुलाबी भूरे
सूरज फूल खिलाता
सिर पर रख दिन की शोभा की
पूरी गठरी लाता

सूरज है पूरा मछुआरा
जाल किरण का लाकर
करता है खिलवाड़, जाल को
सभी और फैलाकर

सूरज जरा तेज है मन का
गुस्सा भी कर लेता
मगर शांत मन का चंदा है
मन को ठंडक देता

रात और दिन दोनों भाई
आते पारी-पारी
धरती खुश रहती बेटों से
उत्तर दक्षिण सारी

बड़े मेहनती हैं ये बेटे
अँधियारे से लड़ते
कुचल पैर से अपना दुश्मन
उसके ऊपर बढ़ते

सूरज सुंदर, चंदा सुंदर
आसमान भी नीला
फूल चमेली है हर तारा
चम-चम-चम चमकीला।