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बंदूक चलाई / श्रीप्रसाद
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चिड़ियों ने बंदूक चलाई
बंदूकों से गोली आई
गोली में रसगुल्ले आए
हमने खाए, सबने खाए
छोटे, बड़े-बड़े रसगुल्ले
रस में डूबे हुए मझौले
चिड़ियो फिर बंदूक चलाओ
फिर कोई करतब दिखलाओ
चिड़ियाँ जाने कहाँ गईं फिर
जल्दी ही वापस आईं फिर
जब बंदूक चलाई मिलकर
निकले खूब फूल खिलखिलाकर
गेंदा और चमेली, चंपा
थे गुलाब झुप्पा के झुप्पा
लाल, सफेद, बैंगनी, पीले
मैरूनी, कैसरिया, नीले
गोली नहीं, फूल आते थे
हम उनको बिखरा पाते थे
हम ऐसी बंदूकें लाएँ
छुट्टी के दिन उन्हें चलाएँ
खुश हों सब रसगुल्ले खाकर
फूल कई रंगों के पाकर
पर कैसे बंदूके पाएँ
जिनको लेकर हम सब आएँ।