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बिल्लू का ब्याह / श्रीप्रसाद

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चूहे बनकर चले बराती
बिल्लू का है ब्याह जी
मुकुट पहनकर बिल्लू चलते
वाह-वाह जी, वाह जी

ढोल ढमाढम, ढमढम बजता
बिल्लू नाचे नाच जी
पाँव थिरकते सब चूहों के
है यह बिलकुल साँच जी

धीरे-धीरे द्वार आ गया
आई जहाँ बरात जी
आतिशबाजी लगी छूटने
थी तब आधी रात जी

ठाटबाट से ब्याह हो गया
पाए अच्छे माल जी
दुलहिन तो इतनी अच्छी थी
मत पूछो कुछ हाल जी

बिल्ली के घर से जो पाया
लेकर चली बरात जी
आने-जाने और ब्याह में
बीत गए दिन सात जी

खुशी सभी को हुई ब्याह में
पाया अच्छा मान जी
लड्डू पेडे़ खूब उड़ाये
बनकर के मेहमान जी।