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हर सब्जी से / श्रीप्रसाद
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बैंगन बोला, आलू भैया
खूब बने हो गोले से
हर तरकारी में रहते हो
लगते हो पर भोले से
अपने साथ तुम्हें पाकर के
मैं भी खुश हो जाता हूँ
तुममें मिलकर तुम जितना ही
मैं भी आदर पाता हूँ
आलू बोला, बैंगन भैया
हर सब्जी से नाता है
परवल कोहड़ा बोड़ा सबमें
मुझे मिलाया जाता है
इसी बात की मुझे खुशी है
सबसे भाईचारा है
तुरई हो, लौकी, हर कोई
साथी अपना प्यारा है
और अकेले भी सब्जी हूँ
इतना कुछ मैं करता हूँ
और अन्न बनकर गरीब का
पेट कभी मैं भरता हूँ।