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उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं / बुल्ले शाह

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उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।
एह सौण तेरे दरकार नहीं।

इक्क रोज़ जहानों जाणा ऐं,
जा कबर विच्च समाणा ऐं,
तेरा गोश्त कीड़िआँ खाणा ऐं,
कर चेता, मरग<ref>मृत्यु</ref> विसार नहीं,
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

तेरा साहा<ref>शादी</ref> नेड़े आया है,
कुझ चोली दाज रँगाया ऐं,
क्यों आपणा आप वँजाया ऐं,
ऐ गाफल<ref>लापरवाह</ref>! तैनूँ सार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

तूँ सुत्तिआँ उमर वँजाई ऐं,
तूँ चरखे तन्द ना पाई ऐं,
की करसें? दाज त्यार नहीं,
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

तूँ जिस दिन जोबन<ref>जवानी</ref> मत्ती सैं,
तूँ नाल साइआँ दे रत्ती सैं,
हो गाफल गल्लीं वत्ती सैं,
एड भोरा तैनूँ सार नहीं,
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

तूँ मुढ्ढों बहुत कुचज्जी सैं,
निरलज्जेआँ दी निरलज्जी सैं,
तूँ खा खा खाणे रज्जी सैं,
हुण ताईं तेरा बार<ref>वजन, भार</ref> नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

अज्ज कल तेरा मुकलावा ऐं,
क्यों सुत्ती कर कर दावा ऐं,
अगडिट्ठिआँ नाल मिलावा ऐं,
इह भलके गरम बाज़ार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

तूँ ऐस जहानों जाएँगी,
फेर कदम ना ऐत्थे पाएँगी,
एह जोबन रूप वन्जाएँगी,
तै रैहणा विच्च संसार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

मंज़ल तेरी दूर दुराड़ी,
तूँ पौणा विच्चों जंगल वादी,
औखा पहुँचण पैर पियादी<ref>पैदल</ref>,
दिस्दी तूँ असवार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

इक्क इकल्ली तनहा<ref>अकेली</ref> चल सें,
जंगल बरबर<ref>उजाड़</ref> दे विच्च रूल सें,
लै लै तोशा<ref>खाना</ref> एत्थों घल सें,
ओत्थे लैण उधार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

ओह खाली ए सुं´ हवेल्ली,
तूँ विच्च रैहसें इक इकेल्ली,
ओत्थे होसी होर ना बेल्ली,
साथ किसे दा बार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

जेहड़े सन देसाँ दे राजे,
नाल जिन्हाँ दे वजदे वाजे,
गए हो के बे तखते ताजे,
कोई दुनिआँ दा इतबार नहीं।

कित्थे है सुल्तान सिकन्दर,
मौत ना छड्डे पीर पैगम्बर,
सभे छड्ड छड्ड गए अडम्बर,
कोई एत्थे पाहेदार<ref>पक्का, स्थायी</ref> नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

कित्थे यूसफ माहे<ref>चंद्रमा</ref>-कुनेआनी,
लई जुलैखा फेर जवानी,
कीती मौत ने ओड़क फानी,
फेर ओह हार श्ंिागार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

कित्थे तखत सुलेमान वाला,
विच्च हवा उड्डदा सी बाला<ref>ऊँचा</ref>,
ओह भी कादर<ref>परमात्मा</ref> आप सँभाला,
कोई जिन्दगी दा इतबार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

कित्थे मीर मुलक सुल्ताना
सभ्भे छड्ड छड्ड गए टिकाणा,
कोई मार ना बैठे ठाणा,
लश्कर दा जिन्हाँ शुमार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

फुल्ल फुल्ल चँबेली लाला,
सोसन सिम्बल सरू निराला,
बादे खिज़ाँ<ref>पतझड़ की हवा</ref> कीता बुरा हाला,
नरगस नित्त<ref>मसती</ref> नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

जो कुझ करसें सो कुझ पासें,
नहीं ते ओड़क पिछोतासें,
सुंझी कूंज वाँङ कुरलासें,
खम्भाँ बाझ उडार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

डेरा करसें ओहनीं जाईं<ref>जगह</ref>,
जित्थे शेर पलंघ बलाई,
खाली रैहसण महल सराईं,
फिर तूँ विरसेदार<ref>हकदार</ref> नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

असीं आज़ज़ विच्च कोट इलम दें,
ओसे आँदें विच्च कलम दे,
बिन कलमे दे नाहीं कम्म दे,
बाझों कलमे पार नहीं।
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

बुला सहू बिन कोई नहीं,
एत्थों ओत्थे चौहीं सराईं,
सँभल सँभल के कदम टिकाईं,
फेर आवण दूजी वार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं।

शब्दार्थ
<references/>