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केहा झेड़ा लायो ई? / बुल्ले शाह

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आ सज्जण गल लग्ग असाडे,
केहा झेड़ा लायो ई?
सुत्तेआँ बैठेआँ कुझ ना डिट्ठा,
जागदेआं सहु पायो ई।
कुम्ब बि इजली शमस<ref>एक सूफी संत का नाम</ref> बोले,
उल्टा कर लटकायो ई।
इशकन इशकन लग्ग विच्च होइआँ,
दे दिलास बिठायो ई।
मैं तैं काटी नहीं जुदाई,
फिर क्यों आप छुपायो ई।
मज्झिआँ आइआँ माही ना आया,
फूक बिरहों डुलायो ई।
ऐस इशक दे वेक्खे कारे,
यूसफ खूह पवायो ई।
वाँग जुलैखा विच्च मिशर दे,
घुँघट खोल रूलायो ई।
रब्ब-ए-अरनी मूसा बोले,
तद कोह तूर जलायो ई।
लन तरानी<ref>स्व-प्रगटावा, स्वयंभू</ref> झिडकाँ वाला,
आपे हुक्म सुणायो ई।
इशक दीवाने कीता फानी,
दिल यतीम बणायो ई।
बुल्ला सहु घर वसिआ आ के,
शाह अनायत पायो रे।
आ सज्जण गल लग्ग असाडे,
केहा झेड़ा लायो ई।

शब्दार्थ
<references/>