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इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए / बुल्ले शाह

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इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए।

फड़ नुक्ता छोड़ हिसाबाँ नूँ,
कर दूर कुफर देआँ बाबाँ<ref>हालात, खण्ड</ref> नूँ,
लाह दोज़ख<ref>नरक</ref> गोर<ref>कब्र</ref> अजाबाँ<ref>दुख तकलीफ</ref> नूँ,
कर साफ दिले दिआँ ख्वाबाँ नूँ,
गल्ल ऐसे घर विच्च ढुक्कदी ए।
इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए।

ऐवें मत्था ज़िमीं घसाईदा,
लम्मा पा मेहराब दिखाईदा,
पढ़ कलमा लोक हँसाईदा,
दिल अन्दर समझ ना लिआई दा,
कदी बात सच्ची वी लुकदी ए।
इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए।

कई हाजी बण बण आए जी,
गल्ल नीले जामे पाए जी,
हज वेच टके लै खाए जी,
भला एह गल्ल कीहनूँ भाए जी,
कदी बात सच्ची भी लुकदी ए।
इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए।

इक जंगल बहिरीं जान्दे नी,
इक दाणा रोज़ लै खान्दे नी,
बे समझ वजूद थकान्दे नी,
घर होवण हो के मान्दे नी,
ऐवें चिल्लिआँ विच्च जिन्द सुक्कदी ए।
इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए।

रड़ मुरशद<ref>गुरु</ref> आबद<ref>बन्दगी करने वाला, इबादत करने वाला</ref> खुदाई हो,
विच्च मस्ती बे-परवाही हो,
बे-बाहश बेनवाई हो,
बुल्ला बात सच्ची कदों रुकदी ए।
इक नुक्ते विच्च गल्ल मुक्कदी ए।

शब्दार्थ
<references/>