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मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई / बुल्ले शाह

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मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।
जब की तुम संग परीत लगाई।

जद वसल वसाल बणाईएगा,
ताँ गुँगे का गुड़ खाईऐगा,
सिर पैर ना अपणा पाईएगा।

एह मैं होर ना किसे बणाई।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

होए नैण नैणाँ दे बरदे,
दरशन सैआँ कोहाँ तों करदे
पल पल दौड़न ज़रा न डरदे।

तैं कोई लालच घत भरमाई
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

हुण मैं वाहदत विच्च घर पाया,
वासा हैरत<ref>हैरानी</ref> दे संग आया,
मैं जम्मण मरण वंजाया।

अपणी सुध बुध रही ना काई।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

डौं डौं इशक नगारे वजदे,
आशक जाण उते वल्ल भजदे,
तड़ तड़ तड़क गए लड़ लजदे।

लग्गा इशक ताँ शरन सिधाई।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

बस कर त्यारे बहुते होई,
तेरा इशक मेरी दिलजोई,
मैं बिन मेरा साक ना कोई।

अम्मा बाबल भैण ना भाई।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

कदी हो असमानी बैंहदे हो,
कदी इस जग ते दुक्ख सैंहदे हो,
कदे मगन होए रैंहदे हो।

मैं ताँ इशके नाच नचाई।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

बुल्ला सहु असीं तेरे प्यारे हाँ,
मुक्ख देक्खण दे वणजारे हाँ,
कुझ असीं वी तैनूँ प्यारे हाँ।

की महीओं घोल घुमाई।
मैं विच्च मैं नहीं रहीआ काई।

मेरी बुक्कल दे विच्च चोर

मेरी बुक्कल दे विच्च चोर,
नी मेरी बुक्कल दे विच्च चोर।

कीहनूँ कूक सुणावाँ नी,
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर।
चोरी चोरी निकल ग्या,
जगत विच्च पै ग्या शोर।

शब्दार्थ
<references/>