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वत्त ना करसाँ माण / बुल्ले शाह

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वत्त ना करसाँ माण रँझेटे यार दा वे अड़िआ।
इशक अल्ला दी जात दा मेहणा,
कैह वल्ल कराँ पुकार किसे नहीं रहणा,
अग्गे दी गल्ल ओही जाणै,
कौण कोई दम मारदा वे अड़ेआ।
अज्ज अजोकी रात मेरे घर वस्स खाँ वे अड़िआ,
दिल दीआँ घुंडिआँ खोल असाँ नाल हस्स वे अड़िआ,
दिलबर यार करार कीत्तोई,
की इतबार सोहणे यार दा वे अड़िआ,
जान कराँ कुरबान भेत ना दसाईं अड़िआ।
ढूँढ़ा तकीए दाएरे उठ्ठ उठ्ठ नस्सना ऐं,
रत्न मिल सइआँ पुच्छदीआँ,
होया वक्त भंडार वे अड़ेआ।
हिक्क करदीआँ खुदी हंकार उन्हां थी तारना ऐं,
हिक्क पिच्छे पिच्छे फिरन खुआर सड़िआँ नूँ साड़ना ऐं,
मैंडे यार की इतबार तेरे प्यार दा वे अड़िआ।
चिक्कड़ भरेआँ नाल तूँ झूमर घत्तना ऐं,
लाया हार शिंगार मैथीं उठ्ठ नस्सना ऐं,
बुल्ला सहु घर आओ,
होय वक्त दीदार दा वे अड़िआ।

शब्दार्थ
<references/>